India vs South Africa Women T20: अपने डेब्यू मैच में ही धमाकेदार प्रदर्शन कर अमनजोत कौर ने रचा इतिहास
India vs South Africa Women T20 के बीच त्रिकोणीय सीरीज का पहला मुकाबला 19 जनवरी को ईस्ट लंदन के बफेले पार्क खेला गया। टॉस जीतकर साउथ अफ्रीका की टीम ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय महिला क्रिकेट टीम की शुरुआत काफी खराब रही भारतीय टीम ने अपने शीर्ष पांच खिलाड़ियों के विकेट मात्र 69 रन पर गवां दिए जिससे टीम संकट में नजर आने लगी।
उस समय भारत का स्कोर 11.5 ओवर में मात्र 69 रन था। अपने डेब्यू मैच में नंबर 7 पर बल्लेबाजी के लिए आई अमनजोत कौर ने दीप्ति शर्मा के साथ पारी को आगे बढ़ाया दीप्ति शर्मा और अमनजोत कौर ने छठे विकेट के लिए 50 गेंदों में 67 रन की साझेदारी की दीप्ति शर्मा 30 गेंद पर 33 रन बनाकर Marizanne Kapp की गेंद पर कैच आउट हुई लेकिन अमनजोत कौर ने धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए अपने पहले मैच में 42 रन की नाबाद पारी खेलकर भारत को एक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। उन्होंने अपनी पारी में 7 चौके लगाए । 50 गेंदों में 67 रन की साझेदारी के चलते भारतीय टीम ने 6 विकेट खोकर 147 रन का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य अफ्रीकी टीम के सामने रखा।
दीप्ति शर्मा (30) अमनजोत कौर नाबाद (42) के अलावा ओपनर बल्लेबाज यस्तिका भाटिया 34 गेंदों में 35 रन ने ही सिर्फ दहाई का आंकड़ा छुआ। जीत के लिए 148 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी मेजबान अफ्रीकी टीम 9 विकेट पर मात्र 120 रन ही बना पाई और यह मुकाबला भारतीय महिला टीम ने 27 रन से जीत लिया।
अमनजोत को बेहतरीन बल्लेबाजी करने के लिए सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया और भारतीय टीम की जीत का श्रेय अमनजोत कौर के नाम रहा भारत की दाहिने हाथ की बल्लेबाज अमनजोत कौर का डेब्यू टी20 था उन्होंने भारत को यह मैच जिताने में अहम भूमिका निभाई जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच दिया गया।
अमनजोत कौर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही अपने पापा के लिए यह बात
मेरे विकास में मेरे पिता की बड़ी भूमिका रही है। उनके संघर्ष मुझसे कहीं अधिक हैं। कुर्बानी न देते तो मैं इतनी दूर न पहुंचती : अमनजोत कौर
" पापा का बहुत बड़ा रोल रहा है उन्होंने मुझे एकेडमी ज्वॉइन कराई ताकि मैं क्रिकेट खेल सकूं मुझे क्रिकेट का शौक था मुझे कभी नहीं लगा था कि मैं भारत के लिए खेलूंगी पापा का संघर्ष मुझसे कहीं ज्यादा है उन्होंने मेरे लिए अपना काम छोड़ा था ताकि वह मुझे एकेडमी तक ले जा सके और घर ला सके घर से एकेडमी आने जाने में 3 से 4 घंटे लगते थे अगर मेरे पिताजी उस जगह कुर्बानी नहीं करते तो मैं शायद आज भारतीय टीम में ना होती जब मैंने एकेडमी 2016-17 में ज्वॉइन की तब मेरे पापा कारपेंटर थे मेरे लिए उन्होंने घर के आस-पास ही काम करना शुरू किए कहीं बाहर काम करना जाना होता था तो नहीं जाते थे ताकि मैं क्रिकेट खेल सकूं "
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